जो क्रोध के मारे आपे से बाहर है वह मृत्यु तुल्य है, किन्तु जिसने क्रोध को त्याग दिया है, वह संत के सामान है ! मधुर वाणी हो तो सब वश में हो जाते है, वाणी कटु हो तो सब शत्रु बन जाते है ! सुखी होना चाहते हो तो सुख को बांटना सीखो, विद्या की तरह सुख भी बांटने से बढ़ता है !

सर्वत्र ईश्वर की शक्ति है

ॐ नमः शिवाय:-
किसी वास्तु को देखने पर उस वास्तु को बनाने वाले की तरफ दृष्टि जाना बुद्धिमानी है | कुम्हार के बिना घड़ा, चित्रकार के बिना चित्र नहीं बनता | इसी तरह यह जो संसार है दीखता है , इसे बनाने वाला भी कोई है |

अनेक ऐसी चीजें है जो हमें दिखाई नहीं देती, किन्तु उनका अस्तित्व अवश्य अनुभव होता है | इसीलिए यह आवश्यक नहीं है की जो हमें दिखाई दे, उसी को माना जाये | जैसे बिज से वृक्ष बनता है तो बिज में शक्ति कहाँ से आयी ? ईश्वर नहीं है, ऐसा कहना मुर्खता की बात है |

ईश्वर नहीं है तो क्या आप सबकुछ जानते है ? बोले तो विचारपूर्वक बोलना चाहिए | पुत्र-पिता की परम्परा को देखें तो आखिर पिता कौन है ? सबसे आखिर चीज भगवान् है |

संसार को देखने से संसार के रचयिता का ज्ञान होता है | उस विलक्षण रचयिता की प्राप्ति के बिना मनुष्य जीवन सफल नहीं होता | भगवन परिश्रम, उद्योग से नहीं मिलते, प्रत्युक्त भीतर की असली लालसा से मिलता है | अतः हम सब में ईश्वरीय अंश है और उसी अंश से इस धरा पर विचरण कर रहे है |

अद्धभुत चमत्कार- साक्षात् दर्शन करें बाबा भोलेनाथ,पार्वती संग गणेश जी व काली जी-1


ॐ नमः शिवाय :- एक बार पुनः आपको अपने साथ अपने गाँव के पावन धरती पर ले जाते है जहाँ साक्षात् शिव सपरिवार अद्धभुत रूप में अवतरित हुए है | जैसा की मैं पहले घटना के बारे में बता चूका हूँ इसके आगे जो हुआ उसके बारे में अब जानकारी आपसे बांटना चाहेंगे |

हलकी वारिस हो रही थी गाँव के लोग उस नाग डीह पर एकत्रित हुए और किसी को भी बिश्वास नहीं हो रहा था की आखिर एक के बाद एक यह क्या हो रहा है ? दरअसल जब एक विशाल कलश मिला ठीक उसी समय में उसके सामने एक और विशाल कलश मिला | जब उसकी ओर जाने लगे तो वो औरत फिर बोल पड़ी - मैं साक्षात् भगवती हूँ , मेरी बात मान और इसकी खुदाई मत कर , मैं अपने परिवार के साथ यहाँ रह रही हूँ --

परन्तु गाँव के लोग उनकी बातों को अनसुना कर दी और खुदाई जारी रखी | माँ भगवती नाराज हो गई और बोली अगर तुम गाँव के सारे लोग एक साथ मिलकर भी इस कलश को हिला सको तो मैं मान जाऊं | इस तरह से कई लोग मिलकर कोशिस किया परन्तु कलश बिलकुल पाने स्थान से टस-से मस नहीं हो सका | ठीक थोड़ी ही देर में उसी घड़ा ( कलश ) से एक चमत्कार हुआ माता काली के रूप में धातु की बनी मूर्ति निकली |


इस तरह से भगवती माता की आपर शक्ति को सभी श्रद्धालु ने अपनी आँखों के सामने देखकर अविभूत हो गए और सब ने जयकारा लगाने लगे " माँ भगवती की जय " | उनकी अलौकिक शक्ति और चमत्कार को लोगों ने श्रधा से नमन किया |


परन्तु गाँव के कुछ लोगों ने जो घटना उपरांत आये थे और आँखों से कलश उठाने वाला दृश्य नहीं देख पाए थे , वह भक्त जन कहने लगे की अगर आप सचमुच में भगवती महामाया है और आप अपने परिवार के साथ यहाँ इस स्थान पर विराजमान है तो आप साक्षात् प्रकट होकर दिखाइये | भक्तों पुकार को माता ने नहीं ठुकड़ा सकी और अंधविश्वास को दूर करने के लिए 23 अगस्त 2007 दिन गुरुबार के सुबह भगवान् भोलेनाथ , माता पारवती एवं पुत्र श्री गणेश जी तीनो देब्ताओं एक साथ एक ही प्रतिमा में प्रकट हुए एवं माँ काली जी एक अलग प्रतिमा में प्रकट हुई |

इस तरह से एक साथ अनेक देवी देवताओं को चमत्कारी ढंग एक साथ प्रकट होने की खबर जंगल में आग की तरह फ़ैल गई | चारों दिशाओं से हजारों-हजारों श्रधालुओं का उस स्थान पर एकत्रित होना शुरू हुआ और वारिस के मौसम में भी लोगों की भीड़ लगातार बढती गई |


इस तरह की सुचना प्रशासन को भी मिली | सुचना मिलते ही कलुआही थाना प्रभारी अपने सिपाहियों के साथ उस स्थान पर आये जहाँ पर भगवान भोलेनाथ साथ अवतरित हुए थे |

थाना प्रभारी ने अपने सिपाही को आदेश दिया जाओ और भगवान भोले नाथ का मूर्ति को उखाड़ कर लाओ |जैसे ही मूर्ति को सिपाही ने छूने का प्रयास किया- ठीक उसी समय सिपाही मूर्छित हो गया | कुछ देर के पश्चात् बहुत सारी अनुनय विनय के बाद सिपाही को होश आया | इस तरह से पुलिस प्रशासन का अहंकार को दूर किया |


आगे और भी बहुत कुछ है जो अगले अंश में लेकर आपके साथ उपस्थित होंगे ,तब तक के लिए "हर हर महादेव , ॐ नमः शिवाय )

अतः हम सबके उपर इश्वर की कृपा बनी रहे , इसके लिए आवश्यक है की हम स्वयं भी ऐसा ही व्यव्हार करें जिससे इश्वर प्रसन्न हो और हमें सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति हो ताकि दुःख से मुक्ति मिले | इसका एक मात्र उपाय है पूजा | अतः हमें अपने अराध्य देव को प्रसन्न करने के लिए पूजा , अर्चना करनी चाहिए |



अद्धभुत चमत्कार- साक्षात् दर्शन करें बाबा भोलेनाथ,पार्वती संग गणेश जी व काली जी

ॐ नमः शिवाय -आज हम अपने साथ आपको अपने पैत्रिक गाँव की सैर कराना चाहेंगे | मैं विहार के मधुबनी जिला में एक छोटा सा गाँव मधेपुर के निवासी हूँ |

यह मिथिलांचल में है जो विदेही माता सीता के नाम से प्रसिद्द है | क्यूंकि इन्ही पावन धरती पर जनकनन्दनी माता सीता जी अवतरित हुई थी | ऐसे ही कई चमत्कार हमारे इस धरती पर हो चुके है |
आज फिर से हम एक अद्धभुत चमत्कार की बात करेंगे जो हमारे गाँव में कुछ साल पहले यानि की 20 अगस्त 2007 दिन सोमबार दोपहर के करीब 1 बजे गाँव के दक्षिण दिशा में घटित हुई |

थोड़ी से जानकारी आपको अपने गाँव के दक्षिण दिशा के बारे में बताते है - दरअसल वहां एक स्थान है जो नाग डीह के रूप जाना जाता है | कई लोगों ने वहां पर आते जाते नाग और नागिन के जोड़े को एक साथ देखा है | परन्तु कभी भी सर्प ने गाँव के लोगों को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया |

अब हम आपको घटना के करीब ले जाते है- सोमबार का दिन था , हर रोज के तरह गाँव में समान्य हलचल , किसान अपने अपने काम को सुबह सवेरे खेतों की जुताई वगैर करके अपने अपने घर जा चुके थे | करीब 1 बजे की घटना है, जब खेतो में इक्के-दुक्के लोग होते है |

अब जहाँ पर नाग डीह हुआ करता था वहां भी किसान ने अपने खेत की जुताई करके जा चुके थे , अचानक उस स्थान से भयंकर हुंकार भरी आवाज आने लगी | पहले तो लोगों को यह समझ नहीं आया की आखिर ये आवाज कहाँ से आ रही है | लेकिन एक छोटा सा बालक जिसका जाम है अजित , वहीँ पर कीचड़ में मछली पकड़ने के लिए खेतों के इर्द-गिर्द चक्कर लगा रहे थे |

घटना के कुछ देर पहले भी वहां घास लेकर जा रही ग्रामीण महिला ने नाग और नागिन के जोड़े को एक साथ विचरण करते देखी थी | हुँकार सुनकर पहले तो बच्चे ने भागने का प्रयत्न किया परन्तु वो किसी भंवर जैसे बनी एक गड्ढे में फंस गया | जहाँ से बहुत बड़ी मात्रा में पानी का फब्बारा निकल रहा था और वो जमीं के अन्दर जाने लगा था |

बालक अजित का उम्र मात्र आठ साल का था और बड़ी तेजी के साथ उस भंवर के अन्दर समता जा रहा था | बच्चे अपनी जान बचाने के लिए जोर-जोर से चिल्ला रहा था | यह समाचार गाँव में चौ तरफ़ा जंगल की आग के तरह फ़ैल गई और सबके सब ग्रामीण उस स्थान पर एकत्रित हो गया |


ठीक उसी समय एक औरत अपने जानवर के चारा लेकर आ रही थी | उस दृश्य को देखकर वो बोलने लगी - अरे जाने दे इसे , कुछ नहीं होगा थोड़ी देर में वापस आ जायेगा | पर ग्रामीण लोग ने अनसुना करके पहले जल्दी से बालक को ऊपर खीच लिया | फिर सोचा ये हुँकार भरी आवाज का क्या करें ? जिससे ग्रामीण बहुत ज्यादा डरा, सहमा सा महसूस कर रहे थे |

कुछ लोग फाबरा व कुदाल लेकर उस जगह की खुदाई करने लगा | यह देखकर फिर वहीँ औरत बोल पड़ी - मत कर खुदाई, कुछ देर बाद ये आवाज भी बंद हो जाएगी और कुछ चमत्कार भी होगी घड़े के रूप में , छोड़ दे ये सब के सब मात्र दो घंटे के अन्दर हो जायेगा |

परन्तु ग्रामीण ने फाबरा व कुदाल खुदाई चालू किया तो पता चला एक बड़ा सा घड़ा है और उसी में से गंगा जल के स्वरुप निर्मल जल का फब्बारा निकल रहा था | और वो जैसे ही वो घड़ा लोगों के सामने दिखने लगे तो वो गर्जना जो थी बिलकुल शांत हो गई |इस तरह से बालक अजित के जान बख्श देने के लिए लोगों ने बाबा भोले नाथ का जय जयकार किया |
ऐसा अद्धभुत चमत्कार हमने पहली बार सुना और देखा था | अद्धभुत मुर्तिया जो अपने साथ त्रिशूल,बाबा भोलेनाथ,माता पार्वती के संग गणेश जी और एक मूर्ति अलग से मिली जो की माता काली की है |


इस तरह से हुआ अद्धभुत चमत्कार | और भी आगे है जिसके बारे में आगे चर्चा करेंगे ------------------------ तो इन्तेजार कीजियेगा अगले भाग का जो जल्द ही आपके समक्ष लायेंगे और साक्षात दर्शन करायेंगे भगवान् भोलेनाथ और उनके परिवार से |