आज अनंत चतुर्दशी है | भाद्र मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है | आज के दिन शेषशायी भगवान विष्णु की पूजा अराधना करने का प्रावधान है | इस रूप में भगवान विष्णु जितना मोहक है उतना ही आम जीवन में प्रभाव रखता है | अपने चित्रों में देख रहे है विष्णु क्षीर सागर के बीचोबीच शेष नाग के ऊपर उसके फन की छाया में विश्राम करते दिखाई देता है और साथ में पैरों पर लक्ष्मी जी का हाथ है |
भगवान विष्णु के इस स्वरुप में एक सन्देश छिपा हुआ है , जो हमारे पारिवारिक और सामजिक जीवन को दिशा देता है | मान्यता है की श्रृष्टि का सर्जक ब्रह्मा है तो विष्णु के पास श्रृष्टि के संचालन व पालन पोषण का दायित्व है और भगवान शिव संहारक शक्ति है | अब चुकी विष्णु श्रृष्टि का संचालन व पालन पोषण का दायित्व निभाते है , इसलिए गृहस्थों के भगवान कहना कदापि अनुचित न होगा |
भगवान विष्णु का यह मुद्रा और गृहस्थ की जिन्दगी में बहुत कुछ समानता है | जिस तरह विष्णु जी क्षीर सागर में रहता है,वैसे ही हम भाव सागर में रहते है | लक्ष्मी के पैर दबाने से उन्हें जो सुख की अनुभूति मिलता है , वहीँ शेषनाग के फन की छाया भी उनके ऊपर है | गृहस्थ जीवन भी ठीक इसी प्रकार का होता, सुख और दुःख से परिपूर्ण | शेषनाग के फन उनकी दायित्व की ओर चिन्हित करते है |
इतनी सारी जिम्मेदारी के वाबजूद विष्णु का मुख मंडल हमेशा मुस्कुराता हुआ नजर आता है | अर्थात हमारे लिए यह शिक्षा देने वाला सन्देश है की परिस्थिति चाहे अनुकूल हो या प्रतिकूल हमें धैर्य नहीं खोना चाहिए और हमें हमेशा मुसुकुराते रहना चाहिए | हमारे मन में शांति होनी चाहिए और व्यव्हार से परिवार में सुखद प्रेम की बरसात हो |
लक्ष्मी के पैरों की तरफ बैठना भी यह सन्देश देता है की जो अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कुशलता से करता है, लक्ष्मी उसका आदर करती है तथा गृहस्थ को कर्म को पहला स्थान देना चाहिए और लक्ष्मी यानी की धन-सम्पति को आखिरी |
अनंत चतुर्दशी का व्रत सुखी जीवन के लिए !
Rambabu, Wednesday, September 22, 2010स्वस्थ जीवन के लिए विचार शुभ रखें !
Rambabu, Wednesday, September 15, 2010
ॐ नमः शिवाय :-भद्रं कर्णेभिः श्रुणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्य जत्राः |
स्थिरैरंगैरस्तुष्टुवाँ सस्त्नूभिव्यंशे महिदेव हितं यदायुह ||
- ऋग्वेद
हम कानो से शुभ ही सुनें और नेत्रों से भि शुभ ही देखें | हमारे सुदृढ़ अंगो से हे प्रभो ! आपकी स्तुति करते हुए शरीर मर्यादा के अनुकूल देव हितकारी एवं कल्याणकारी आयु को भली भाँती प्राप्त हों |तच्चक्षुर्देवहितं पुरस्ताच्छुक्र्मुच्चरत | पश्येम शरदः शतं जीवेम शरदः शतः श्रुणुयाम
शरदः शतं प्रब्रवाम शरदः शतमदीनाह स्याम शरदः शतं भूयश्च शरदः शतात
- यजुर्वेद
सबको देखने वाले और विद्वानों का कल्याण करने वाले और विद्वानों का कल्याण करने वाले, अनादिकाल से विद्यमान इश्वर की कृपा से हम सौ वर्ष तक देखें, सौ वर्ष तक सुनते रह सकें ,सौ वर्ष तक बोलते रह सकें , सौ वर्ष तक स्व्तन्त्र्तापुर्वक रह सकें तथा सौ वर्ष से भि अधिक समय तक यह सब करते रह सकें | अभिदर्गात्राणि शुद्ध्यन्ति मनः सत्येन शुद्ध्यति |
विद्यातपोभ्यां भूतात्मा बुद्धिर्ज्ञानेन शुद्ध्यति ||
- मनु स्मृति
जल से शरीर शुद्ध होता है, सत्य से मन शुद्ध होता है, विद्या और तप से आत्मा शुद्ध होती है और बुद्धि ज्ञान से शुद्ध होती है |दुर्जनेन समं सख्य वैरंचापी न कास्येत |
उष्णो दहति चाँगारह शितः कृष्णायते करम ||
- हितोपदेश
दुष्ट प्रवृति के मनुष्य के साथ मित्रता या शत्रुता, कुछ भी नहीं करना चाहिए क्योंकि दुष्ट व्यक्ति दोनों स्थितियों में अनिष्ट करता है जैसे कोयला जलता हुआ हो तो स्पर्श से हाथ जला देता है और ठंढा हो तो हाथ काले कर देता है |धन आता है खर्च हो जाता है जबकि नैतिकता आती है और बढती जाती है | यदि आप नैतिक और सात्विक शिक्षा प्राप्त करते है और उस पर अमल करते है तो आप दूसरों के लिए एक आदर्श और उदाहरण सिद्ध होते है, साथ ही उतरदायित्व स्वीकार करने में सक्षम हो जाते है | हमेशा अपना मन सीधा और साफ़ रख कर श्रेष्ठ आचरण करने में इश्वर की कृपा उपलब्ध हो जाती है | यह संसार दुखों से भरा हुआ है और शरीर बीमारियों से | हमारा जीवन उपद्रवों से भरा हुआ है और मन विनाशकारी विचारों से | शांति और सुख से पूर्ण जीवन जीने के लिए हमें सभी बुरी बातों को छोड़ना होगा, अच्छे मार्ग पर चलना होगा | अन्य कोई उपाय नहीं है |
- साईं अवतार
सब मनुष्यों को सामाजिक सर्व हितकारी नियम पालन में परतंत्र रहना चाहिए और प्रत्येक हितकारी नियम में सब स्वतंत्र रहें | - महर्षि दयानंद सरस्वती
देवों में प्रथम पूजनीय गणेश जी |
Rambabu, Saturday, September 11, 2010
गजाननं भुत्गानादीसेवितं कपितजम्बूफल्चारुभक्ष्न्म |
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम ||
कोई भी पूजा अनुष्ठान के पहले हम भगवान् गणेश जी का ध्यान करते है | शादी-विवाह या अन्य कोई भी आयोजनों की सफलता के लिए उन्हें सर्वप्रथम पूजा, अर्चना करने का विधान है | क्यूंकि गणपति हमारे सर्वप्रथम पूज्य है |
गणेश चतुर्थी के अवसर पर विघ्नेश्वर गणेश जी का पूजा का प्रावधान है | लेकिन गणेश जी पूजा को नहीं बल्कि अपने भक्तों की आचरण को दृष्टिगत रखते है |
अतः गणेश भक्त होने का असल मतलब है की अपने आचरण में पवित्रता रखें | वह समाज और परिवार का आदर करता हो | किसी भी प्रकार का नशा व तामसिक पदार्थ का सेवन न करता हो | अपने कर्तव्य पथ पर सच्चाई के साथ चलता हो, कभी झूठ न बोले |मान्यता यह है की इस दिन चन्द्रमा को नहीं देखना चाहिए |एक पौराणिक कथा है की एक बार चन्द्रमा ने गणेश जी का गजमुख व लम्बोदर रूप का मजाक उड़ा दिया | चंद्रमा को अपने रूप का अभिमान और निरादर करने की प्रवृति जैसी बुराइयां देखकर गणेश जी ने उन्हें ज्ञान का पाठ पढ़ने के लिए उसे शाप दे दिया की जो भी तुम्हे देखेगा, उस पर कोई कलंक लगेगा |
चंद्रमा को अपने भूल का पश्चाताप हुआ और तुरंत गणेश जी से क्षमा याचना कर लिया , गणेश जी प्रसन्न हो गए और उन्होंने भद्रपद की शुक्ल चतुर्थी को ही इस शाप का प्रभाव रहने दिया, बाकि दिन के लिए चन्द्रमा को मुक्त कर दिया |
अद्धभुत चमत्कार- साक्षात् दर्शन करें बाबा भोलेनाथ,पार्वती संग गणेश जी व काली जी-2
Rambabu, Thursday, September 9, 2010
ॐ नमः शिवाय :-
एक बार पुनः मैं अपने गाँव की उस पावन भूमि का दर्शन करवाने के लिए ले जा रहा हूँ जहाँ साक्षात् भोलेनाथ सपरिवार अवतार लिए है | चमत्कारी घटना कुछ साल पुराणी है जिसके बारे में पहले ही चर्चा कर चूका हूँ | अब जब इस प्रकार भोलेनाथ का गाँव की किसी धरती पर अवतरित होना सबके लिए अद्धभुत एहसास था | कुछ लोग श्रधा के नाम पर आधी अधूरी मन से जाते और उनके बारे में व्यंग्य कर अपने घर को चले जाते थे | पर गाँव के ज्यादातर लोग इसे भगवन भोलेनाथ का अद्धभुत चमत्कार ही मानते है |
अब जो लोग भरोसा नहीं करते थे और इस चमत्कार को पचा नहीं पा रहे थे | अनाप सनाप बातें करते थे की ये कुछ भी नहीं है बस कुछ लोगों की दिमागी उपज है सिर्फ धन कमाने के लिए | मतलब वो उनकी आलोचना करते थे | उनके साथ बड़ा ही अजीब सा घटना घटित हो रहा था |
इनमे से कुछ लोग तो पागलों सी हरकते करने लगे थे और कुछ को रात को नाग नागिन उनके बिस्तर पर डंसने जैसे स्वप्न देखकर वो जोर जोर से चिल्लाने लगते थे की बचाओ बचाओ सांप डांस रहा है पर ऐसा कुछ भी नहीं होता था ये मात्र उनको एहसास दिलाने के लिए ऐसा भगवन भोलेनाथ की माया होता था |बाद में जब लोग उनके स्थान पर अपनी गलती के लिए क्षमा याचना करते थे, फिर कुछ ही दिनों में वो पागल भी ठीक नजर आ रहे थे और रात को बिस्तर में सांप का नजर आना बंद हो जाता था |इस तरह से भगवन भोलेनाथ अपने भक्तो को सही राह पर भी ले आये है और और वो लोग जो ज्यादा आलोचक थे आज के दिन सुबह दोपहर शाम पूजा व अर्चना में लगे हुए नजर आते है | अर्थात उनको भोलेनाथ का प्रसाद मिल गया और वो सपरिवार पहले से सुखी और संतुष्ट नजर आते है |
इतना ही नहीं जब इसका प्रचार प्रसार दूर दूर तक होने लगी | इसके बाद हमारे गाँव में यु.एस.ए. (U.S.A ) पुरातत्व बिभाग के प्रमुख उस स्थान पर आये और जांच किया | बड़े बड़े विद्वान ज्योतिष शास्त्र के जाने माने आचार्य आये और वहां का दृश्य देखकर वो भी श्रद्धा से नमन किया और उन्होंने अपने शब्दों में कहा कि:-यह घटना इस धरती का वास्तव में एक अलौकिक चमत्कार है और गाँव का नाम जो मधेपुर था उनको ज्योतिष विद्वान् ने बदल कर श्री श्री 108 बाबा मद्धेश्वर नाथ अजित धाम रख दिया |